
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव के तीखे बयानों पर सामान्य ट्रंपीय अंदाज़ में जवाब देते हुए दो परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती का आदेश दे डाला।
ट्रंप बोले: “शब्दों से खेलोगे, तो पानी में लोहे की शांति तैरती दिखेगी.“
“यह सिर्फ़ अलर्ट नहीं, अल्टीमेटम की उल्टी गिनती है” – ट्रंप
ट्रंप ने Truth Social पर पोस्ट करते हुए कहा कि पनडुब्बियों की तैनाती “सिर्फ़ एहतियातन” की गई है, लेकिन संकेत साफ हैं — अमेरिका ‘कानून’ से नहीं, अब ‘गहराई’ से जवाब देगा।
ट्रंप: “मेदवेदेव राष्ट्रपति रह चुके हैं, लेकिन अभी भी मानते हैं कि वो कुछ हैं। उम्मीद है वो पनडुब्बियों को गूगल कर लें।“
मेदवेदेव की मौखिक मिसाइलें — ‘रूस को परवाह नहीं’
मेदवेदेव, जो अब रूसी सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष हैं, ने ट्रंप के युद्धविराम या प्रतिबंध वाले बयानों को “नाटकीय धमकी” करार देते हुए चेतावनी दी थी — “हर नया अल्टीमेटम एक युद्ध की सीढ़ी है।“
मतलब साफ: “बात से बात निकली, और अब… बात बारूद तक पहुँचने को है।“
रूस का मार्केट गिरा, निवेशक बोले – ‘शब्द तोप से भारी पड़ गए’
ट्रंप की पोस्ट के बाद रूसी शेयर बाज़ार में गिरावट दर्ज की गई। निवेशकों में डर बैठ गया कि कहीं ये सोशल मीडिया युद्ध असली युद्ध में न बदल जाए।
निवेशक: “हमको तो लगा ये चुनावी शोर है, पर लगता है… सबमरीन सच में पानी में है!“
जियोपॉलिटिकल सस्पेंस – “पनडुब्बियां कहां हैं?”
ट्रंप ने यह नहीं बताया कि पनडुब्बियां कहां तैनात की गई हैं, क्योंकि यूएस मिलिट्री प्रोटोकॉल के तहत यह जानकारी ‘टॉप सीक्रेट’ रहती है। लेकिन अटकलों का बाज़ार गर्म है — “क्या यह अटलांटिक है या इंडो-पैसिफिक?”
“पनडुब्बियां चुपचाप तैर रही हैं… और ट्विटर शोर मचा रहा है।“
‘अल्टीमेटम का युग, सबमरीन की भाषा में जवाब’
इस घटनाक्रम ने एक बार फिर दिखा दिया है कि आज की जियोपॉलिटिक्स में नेताओं के शब्द, हथियारों से कम खतरनाक नहीं हैं।
ट्रंप का यह क़दम बताता है कि 2024 में कूटनीति अब ‘डायलॉग रूम’ में नहीं, सीधे ‘डीप सी’ से शुरू होती है।
ट्रंप: “मैंने सबमरीन भेज दी है।“
मेदवेदेव: “मैंने ट्वीट कर दिया है।“
पुतिन: “मैंने चाय मंगवा ली है।“
दुनिया: “हमने हेलमेट पहन लिया है।“
“किंग खान को मिला ‘नेशनल क्राउन’, एक्टिंग अब सिर्फ़ काम नहीं ‘कर्तव्य’ है!”